शनिवार, 12 अप्रैल 2025

What is Jut Sheetal and Satuani in 2025? Why do Jur Sheetal Celebrate? जुड़ शीतल एवं सतुआनी 2025 में कब है क्या है? जुर शीतल जुर शीतल क्यों मनाते हैं? जुर शीतल 2025: मिथिला नववर्ष का उत्सव, परंपरा और शीतलता का संदेश

What is Jat Sheetal and Satuani in 2025? Why do Jur Sheetal Celebrate? 


जुड़ शीतल एवं सतुआनी 2025 में कब है क्या है? जुर शीतल जुर शीतल क्यों मनाते हैं?

जुर शीतल 2025: मिथिला नववर्ष का उत्सव, परंपरा और शीतलता का संदेश

जुर शीतल (Jur Sital) 2025: पारंपरिक मैथिली नववर्ष और इसकी सांस्कृतिक महत्ता

परिचय:

भारत एक विविधताओं से भरा देश है, जहाँ हर समुदाय, हर क्षेत्र की अपनी अनूठी परंपराएँ और त्यौहार होते हैं। बिहार और नेपाल के मिथिला क्षेत्र में मनाया जाने वाला जुर शीतल, जिसे मैथिली नववर्ष भी कहा जाता है, एक ऐसा ही महत्वपूर्ण त्योहार है। यह न केवल नववर्ष के स्वागत का प्रतीक है, बल्कि शुद्धता, प्रेम, और परंपरा का भी उत्सव है।

🔶 जुर शीतल क्या है?

जुर शीतल, एक पारंपरिक त्योहार है जो मिथिला क्षेत्र के लोग हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र महीने के अंतिम दिन और वैशाख महीने के पहले दिन (सामान्यतः 14 या 15 अप्रैल) को मनाते हैं। इसे सतुआनी, पानी-पाती या मिथिला नववर्ष के नाम से भी जाना जाता है।

इस दिन लोग एक-दूसरे को "ठंडा पानी" या "जुर" अर्पित करते हैं — यानी शीतलता और शांति की शुभकामनाएं देते हैं।

🔶 जुर शीतल 2025 में कब है?

वर्ष 2025 में जुर शीतल 14 अप्रैल, सोमवार को मनाया जाएगा।

🔶 जुर शीतल क्यों मनाते हैं?

नववर्ष की शुरुआत: यह त्योहार मैथिली कैलेंडर के अनुसार नए साल की शुरुआत का प्रतीक है।

गर्मी से राहत और शीतलता की कामना: गर्मी के मौसम की शुरुआत में लोग एक-दूसरे को ठंडा पानी, आम के पत्ते, और शीतलता प्रदान करने वाली वस्तुएं देकर शुभकामनाएं देते हैं।

प्राकृतिक सामंजस्य: इस दिन पेड़-पौधों को पानी देकर जीवन में हरियाली और सकारात्मकता का संदेश दिया जाता है।

पूर्वजों को श्रद्धांजलि: घर की बुज़ुर्ग महिलाओं द्वारा आंगन में जल छिड़का जाता है और तुलसी के पौधे को पानी दिया जाता है। यह शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक होता है।

🔶 इस दिन की परंपराएं और रीति-रिवाज:

घरों की साफ-सफाई की जाती है।

लोग एक-दूसरे को आम के पत्तों से पानी छिड़कते हैं।

ठंडे जल, दही-चूड़ा, आम का टोकरी, खिचड़ी, सतुआ, आम पन्ना जैसे व्यंजन बनते हैं।

छोटे बच्चों को स्नान करवा कर बुजुर्ग आशीर्वाद देते हैं।

जल से तुलसी और पीपल के पेड़ को सींचा जाता है।

कुछ क्षेत्रों में पारंपरिक गीत भी गाए जाते हैं, जो इस त्योहार को और भी खास बनाते हैं।

🔶 जुर शीतल का सामाजिक संदेश:

यह पर्व हमें यह सिखाता है कि:

प्रकृति का सम्मान करना चाहिए।

बुजुर्गों से आशीर्वाद लेना हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है।

शुद्धता और शांति का जीवन में विशेष महत्व है।

पड़ोसियों और समाज में प्रेम और सद्भाव बनाए रखना चाहिए।

🔶 निष्कर्ष:

जुर शीतल केवल नववर्ष का त्योहार नहीं, बल्कि एक संस्कार, शुद्धता और सामूहिकता का उत्सव है। यह त्योहार हमें हमारे संस्कृति की जड़ों से जोड़ता है, और यह याद दिलाता है कि सादगी में भी आनंद और उत्सव छिपा होता है। 2025 में जब आप जुर शीतल मनाएं, तो सिर्फ परंपरा का पालन न करें, बल्कि इस दिन के गहरे सामाजिक और आध्यात्मिक अर्थ को भी महसूस करें।


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