The Court Cannot Turn a Blind Eye कोर्ट आंख बंद कर नहीं रह सकती: मुर्शिदाबाद हिंसा पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने सेंट्रल फोर्स तैनाती के दिए निर्देश
कोलकाता, 12 अप्रैल 2025 — पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हाल ही में हुए राजनीतिक और साम्प्रदायिक हिंसा को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने साफ कहा कि "कोर्ट आंख बंद कर नहीं रह सकती", और राज्य में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए सेंट्रल फोर्स (केंद्रीय सुरक्षा बल) की तैनाती का आदेश दिया है।
🔴 क्या है मामला?
मुर्शिदाबाद जिले में पंचायत चुनावों के बाद से लगातार तनाव की स्थिति बनी हुई है। हिंसा की घटनाएं, आगजनी, तोड़फोड़ और आम जनता के बीच डर का माहौल उत्पन्न हो गया है। कई जगहों पर विपक्षी पार्टियों के कार्यकर्ताओं के घरों पर हमले हुए हैं, और कुछ मौतों की भी पुष्टि हुई है। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि राज्य पुलिस भी हालात पर काबू पाने में असफल रही।
⚖️ हाईकोर्ट की टिप्पणी
राज्य में शांति व्यवस्था बनाए रखने को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा:
"कोर्ट आंख मूंदकर इस तरह की घटनाओं को नजरअंदाज नहीं कर सकती। यदि राज्य सरकार कानून-व्यवस्था बनाए रखने में विफल रहती है, तो केंद्र को हस्तक्षेप करना ही होगा।"
कोर्ट ने यह भी कहा कि नागरिकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। राज्य की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट को अधूरी और असंतोषजनक मानते हुए अदालत ने सख्त लहजे में आदेश दिया कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती की जाए।
🛡️ सेंट्रल फोर्स की भूमिका
कोर्ट के निर्देश के अनुसार, मुर्शिदाबाद के संवेदनशील इलाकों में सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स (CAPF) की कंपनियों की तत्काल तैनाती की जाएगी। ये बल स्वतंत्र रूप से कानून-व्यवस्था बहाल करने का कार्य करेंगे, लेकिन स्थानीय पुलिस के साथ समन्वय में काम करेंगे।
🗣️ राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस फैसले पर राज्य की सत्ताधारी पार्टी ने अदालत के निर्देश पर हैरानी जताई है और इसे "राज्य की स्वायत्तता में हस्तक्षेप" बताया है। वहीं विपक्षी दलों ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए इसे "जनता की जीत" करार दिया है।
🔍 क्या आगे और कार्रवाई होगी?
हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो वह अगली सुनवाई में और कठोर आदेश पारित कर सकती है। साथ ही कोर्ट ने राज्य प्रशासन को एक विस्तृत रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है जिसमें सेंट्रल फोर्स की तैनाती, की गई गिरफ्तारियां और पीड़ितों को दी गई राहत का ब्यौरा शामिल हो।
निष्कर्ष:
मुर्शिदाबाद की घटनाएं यह संकेत देती हैं कि राजनीतिक हिंसा अब केवल चुनावी लड़ाई तक सीमित नहीं रही, बल्कि जनता के जीवन पर सीधा असर डाल रही है। कलकत्ता हाईकोर्ट का यह निर्णय एक साहसिक कदम है, जो यह बताता है कि न्यायपालिका अपने संवैधानिक दायित्वों से पीछे हटने वाली नहीं है — चाहे हालात कितने भी राजनीतिक क्यों न हों।
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