मंगलवार, 29 अप्रैल 2025

PM Modi's High-Level Meeting: Serious Deliberation on Security Strategy पीएम मोदी की हाई लेवल मीटिंग: सुरक्षा रणनीति पर गंभीर मंथन, राजनाथ सिंह, अजीत डोभाल और तीनों सेनाओं के प्रमुख रहे मौजूद

पीएम मोदी की हाई लेवल मीटिंग: सुरक्षा रणनीति पर गंभीर मंथन, राजनाथ सिंह, अजीत डोभाल और तीनों सेनाओं के प्रमुख रहे मौजूद


नई दिल्ली, 29 अप्रैल 2025 — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राजधानी में एक महत्वपूर्ण हाई लेवल मीटिंग की अध्यक्षता की, जिसमें देश की सुरक्षा स्थिति और भविष्य की रणनीतियों पर व्यापक चर्चा हुई। इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, थलसेना, वायुसेना और नौसेना के प्रमुख भी शामिल हुए।

क्यों बुलाई गई यह मीटिंग?

हाल ही में देश की सीमाओं पर बढ़ती गतिविधियों, खासकर उत्तरी और पूर्वी सीमाओं पर चीन और पाकिस्तान के संदिग्ध मूवमेंट्स को देखते हुए यह मीटिंग बेहद अहम मानी जा रही है। इसके अलावा देश के अंदर आतंकी नेटवर्क्स को लेकर खुफिया एजेंसियों ने जो इनपुट दिए हैं, उस पर भी मंथन हुआ।

बैठक में किन मुद्दों पर हुई चर्चा?

इस हाई लेवल मीटिंग का फोकस तीन प्रमुख पहलुओं पर था:

  1. सीमा सुरक्षा की स्थिति: एलएसी और एलओसी पर तैनात जवानों की तैयारियों, इंटेलिजेंस नेटवर्क और सैन्य बुनियादी ढांचे की समीक्षा की गई।
  2. साइबर और हाइब्रिड वॉरफेयर की चुनौतियाँ: अजीत डोभाल और साइबर एजेंसियों ने देश पर साइबर हमलों की संभावनाओं और उससे निपटने की रणनीतियों पर रिपोर्ट पेश की।
  3. आतंरिक सुरक्षा: जम्मू-कश्मीर, उत्तर-पूर्व और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति पर भी चर्चा की गई।

तीनों सेनाओं के प्रमुखों की रिपोर्ट

थल सेना प्रमुख ने एलओसी पर पाकिस्तान द्वारा हाल के संघर्ष विराम उल्लंघनों पर जानकारी दी, वहीं वायुसेना प्रमुख ने एयरस्पेस की सुरक्षा और रणनीतिक तैयारियों का अपडेट साझा किया। नौसेना प्रमुख ने समुद्री सीमाओं की स्थिति, खासकर हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी पर अपनी रिपोर्ट पेश की।

पीएम मोदी का स्पष्ट संदेश

सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने सुरक्षा एजेंसियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि "राष्ट्रीय सुरक्षा में किसी भी प्रकार की चूक स्वीकार नहीं की जाएगी।" उन्होंने आधुनिक तकनीक, तेज़ प्रतिक्रिया क्षमताओं और जवानों की मानसिक तैयारी पर विशेष ज़ोर दिया।

आगे की रणनीति

बैठक में यह तय किया गया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में इन्फ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत किया जाएगा, ड्रोन और निगरानी तकनीकों का इस्तेमाल बढ़ेगा, और साइबर सुरक्षा को लेकर एक विशेष टास्क फोर्स बनाई जाएगी। साथ ही, सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय के लिए एक एकीकृत कमांड सिस्टम पर भी चर्चा हुई।


यह मीटिंग ऐसे समय पर हुई है जब देश को एक साथ बाहरी और आंतरिक दोनों तरह की सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में यह संदेश साफ है कि सरकार किसी भी खतरे को हल्के में नहीं ले रही, और पूरी गंभीरता के साथ हर संभावित स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।


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