Pahalgam Terror Attack to Kashmir's Prosperity नाम और धर्म पूछकर निर्मम हत्या: पहलगाम का आतंकी हमला कश्मीर की खुशहाली के लिए कितना बड़ा झटका?
22 अप्रैल 2025, जम्मू-कश्मीर की सुरम्य वादियों में स्थित पहलगाम, जहां हर साल लाखों पर्यटक सुकून की तलाश में आते हैं — वहीँ हुआ एक ऐसा वीभत्स आतंकी हमला जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया।चार हथियारबंद आतंकियों ने बैसारन घाटी में निहत्थे पर्यटकों पर हमला किया। उन्होंने सबसे पहले लोगों से उनके नाम और धर्म पूछे — और फिर जिनकी पहचान हिंदू के रूप में हुई, उन्हें बेरहमी से गोली मार दी। अब तक की रिपोर्ट्स के मुताबिक इस हमले में कम से कम 26 लोग मारे गए हैं और कई अन्य घायल हैं।
एक लक्षित हमला — आतंक की नई परछाईं
हमले की प्रकृति बताती है कि यह कोई सामान्य आतंकी वारदात नहीं थी। यह एक पूर्व-नियोजित, लक्षित और विचारधारा-प्रेरित हत्याकांड था। "कश्मीर रेजिस्टेंस" नामक एक नवगठित आतंकी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। यह संगठन घाटी में बाहरी नागरिकों की मौजूदगी का विरोध करता है और ऐसे हमलों के माध्यम से क्षेत्र को डर के साए में ढकेलना चाहता है।
गौरतलब है कि यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत दौरे पर थे — जिससे यह संदेह और गहरा हो जाता है कि हमले का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बटोरना भी था।
पर्यटन और विकास को गहरा आघात
धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में जिस तरह से पर्यटन, व्यापार और निवेश को गति मिली थी, वह विकास की ओर एक आशावान कदम था। लेकिन इस तरह के हमले स्थानीय अर्थव्यवस्था, सामाजिक सौहार्द और बाहरी विश्वास को सीधे-सीधे नुकसान पहुंचाते हैं।
पिछले दो वर्षों में घाटी में होटल, होमस्टे, ट्रेकिंग रूट्स और आर्ट एंड क्राफ्ट की गतिविधियों में अच्छा-खासा उछाल आया था। ऐसे समय में यह हमला पूरे क्षेत्र के लिए एक विकास अवरोधक बन सकता है।
सरकारी प्रतिक्रिया और भविष्य की दिशा
भारत सरकार ने हमले की कड़ी निंदा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने इसे मानवता के खिलाफ अपराध बताते हुए हमलावरों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
घाटी में सर्च ऑपरेशन्स तेज़ कर दिए गए हैं और सुरक्षा बलों को अत्याधुनिक संसाधनों से लैस किया जा रहा है। साथ ही, स्थानीय प्रशासन द्वारा पीड़ित परिवारों को मदद और मुआवज़ा देने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
आतंक के खिलाफ एकजुटता ही असली जवाब
आज ज़रूरत है कि हम धर्म और क्षेत्रीय पहचान से ऊपर उठकर आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हों। इस हमले ने यह भी दिखा दिया है कि आतंक केवल बम और गोलियों से नहीं लड़ता — वह विचारधारा से लड़ता है, और उसी विचारधारा को हराने के लिए हमें एकजुट होकर जवाब देना होगा।
निष्कर्ष
पहलगाम का यह आतंकी हमला केवल इंसानी जिंदगियों की त्रासदी नहीं है, बल्कि यह कश्मीर की बदलती तस्वीर और संभावनाओं पर भी एक सीधा प्रहार है। पर हर हमले के बाद देश और समाज ने जिस तरह एकजुटता दिखाई है, वह उम्मीद की सबसे बड़ी किरण है।
आतंक का सामना डर से नहीं, बल्कि दृढ़ता, भाईचारे और न्यायप्रियता से करना होगा।
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