गुरुवार, 6 फ़रवरी 2025

रिश्तों की कीमत: प्यार या पैसा? The Price of Relationships: Love or Money

रिश्तों की कीमत: प्यार या पैसा? The Price of Relationships: Love or Money


बचपन से ही सुनती आ रही थी कि "पति को संभोग सुख दो तो वो तुम्हे दुनिया के सारे सुख देगा।"

लेकिन असल में बात कुछ और थी। मेरी शादी 35 साल की उम्र में हुई, और मेरे पति मुझसे दो साल बड़े थे। यह उम्र शादी के लिए थोड़ी देर से मानी जाती है। पहले के समय में लोग जल्दी शादी कर लेते थे, जिससे परिवार और जीवनसाथी से घुलने-मिलने का समय अधिक मिलता था। लेकिन देर से हुई शादी में लोग इतने जटिल हो जाते हैं कि खुद को नए माहौल में ढालना मुश्किल हो जाता है।

शादी और पहली मुश्किलें


शादी से पहले मुझे पता था कि मेरे पति की आय कम है। लेकिन उम्र बढ़ने के साथ मेरे घरवालों को मेरी शादी की चिंता होने लगी थी। माँ ने कहा, "अब शादी कर लो, नहीं तो उम्र निकल जाएगी।" सहेलियों ने भी सलाह दी, "रात को पति को खुश रखो, वो खुद मेहनत कर ज्यादा कमाएगा।"


शादी के बाद पति ने पहली ही रात कहा, "मेरी तनख्वाह कम है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हम खुश नहीं रह सकते। मैं तुम्हें महंगे संसाधन नहीं दे सकता, लेकिन इतना ज़रूर है कि हमारी ज़िंदगी अच्छे से चलेगी।" उस रात हम बस बातें ही करते रहे।


समय बीतता गया, लेकिन हमारे बीच शारीरिक संबंध नहीं बने। शायद मेरे मन में मलाल था कि उनकी कमाई कम थी, और उन्होंने भी इसे महसूस किया। जब पहली तनख्वाह आई, तो उन्होंने 25,000 में से 20,000 रुपये मुझे दे दिए और बोले, "मेरी जरूरतें सीमित हैं, यह पैसे तुम रखो, अगर ज़रूरत होगी तो तुमसे ले लूंगा।"


पैसों को लेकर तनाव


जब मैंने खर्चों का हिसाब लगाया, तो पैसे कम पड़े। इस पर जब उनसे बात की, तो उन्होंने कहा, "थोड़ी दिक्कत हो सकती है, लेकिन मैं दूसरी नौकरी के लिए कोशिश कर रहा हूँ।" छह महीने तक हम इसी उलझन में रहे। एक दिन झगड़ा इतना बढ़ गया कि मैं मायके चली गई और तय कर लिया कि अब वापस नहीं जाऊंगी।


जब वे मुझे मनाने आए, तो गुस्से में मैंने कह दिया, "जब अच्छा कमाने लगो, तब आना। अभी तो तुम मेरा खर्च भी नहीं उठा सकते।"


मेरी यह बात उन्हें बहुत बुरी लगी। इस बार चोट उनके आत्मसम्मान को पहुँची थी। कुछ दिनों बाद उन्होंने वकील से फोन करवाकर कहा, "अगर तुम मुझसे अलग होना चाहती हो, तो हो सकती हो।" यह सुनकर मेरा गुस्सा और भड़क गया। हमें तलाक मिल गया।


तलाक के बाद की ज़िंदगी


कुछ समय बाद मैंने नौकरी की तलाश शुरू की और 15,000 रुपये महीने की तनख्वाह पर काम मिल गया। अब एहसास हुआ कि नौकरी करना कितना कठिन है। यहाँ लोग एक डिवोर्सी महिला को केवल मौके के रूप में देखते थे। काम अच्छा करने पर कोई तारीफ नहीं करता, लेकिन छोटी सी गलती पर सब पीछे पड़ जाते।


अब 15,000 कमाने के लिए मुझे दिनभर मेहनत करनी पड़ती थी, जबकि पहले घर बैठे ही 20,000 मिल जाते थे।


आज वही इंसान, जिसे मैंने कम आय वाला कहकर छोड़ा था, 86,000 रुपये महीना कमा रहा है। मुझे समझ आया कि मैंने रिश्ते को सिर्फ पैसों के तराजू पर तौलने की गलती की थी।


रिश्तों में पैसे की भूमिका


आजकल लड़कियाँ शादी से पहले यह देखती हैं कि लड़का कितना कमाता है, लेकिन यह जानना ज़रूरी होता है कि उसका चरित्र कैसा है। एक अच्छा रिश्ता सिर्फ पैसे से नहीं, बल्कि आपसी समझ, सामंजस्य और विश्वास से चलता है।


अगर मैंने धैर्य रखा होता, तो शायद आज मेरी ज़िंदगी अलग होती। किसी अमीर इंसान की खरी-खोटी सुनने से अच्छा था कि कम आय वाले के साथ रहकर खुश रहती। यही मेरी सबसे बड़ी सीख थी।


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