भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व है। यह पर्व विघ्नहर्ता भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसी कारण इस दिन को गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी कहा जाता है।
गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है?
गणेश चतुर्थी का आरंभ कब से हुआ?
गणेश चतुर्थी की पूजा विधि
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प्रतिमा स्थापना – भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन शुभ मुहूर्त में गणेशजी की प्रतिमा स्थापित की जाती है।
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संकल्प – भक्त विधि-विधान से गणेशजी का आवाहन करते हैं और व्रत का संकल्प लेते हैं।
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पूजन सामग्री – दूर्वा घास, मोदक, लाल फूल, लाल वस्त्र, रोली, अक्षत, धूप-दीप आदि से भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
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आरती और भजन – प्रतिदिन सुबह-शाम गणपति की आरती और भजन किए जाते हैं।
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विसर्जन – दसवें दिन अनंत चतुर्दशी को शोभायात्रा निकालकर गणेश प्रतिमा का जल में विसर्जन किया जाता है और भक्त कहते हैं – "गणपति बप्पा मोरया, पुढ़च्या वर्षी लवकर या।"
निष्कर्ष
गणेश चतुर्थी सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, आस्था और एकता का प्रतीक है। यह हमें यह संदेश देता है कि ज्ञान, बुद्धि और संयम से जीवन के हर विघ्न को पार किया जा सकता है।
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