राजा
रघुवंशी हत्याकांड, जो पहले से ही एक थ्रिलर फिल्म जैसा लग
रहा था, अब और पेचीदा हो गया है। इस सनसनीखेज मामले में एक नया किरदार
सामने आया है—संजय वर्मा। जी हाँ, उस शख्स का नाम जिसके साथ मृतक राजा की
पत्नी सोनम रघुवंशी की लगातार बातचीत हुई, और जिसने इस रहस्य को और गहरा कर दिया
है। आइए, इस पूरे मामले की परत-दर-परत पड़ताल करते हैं और समझते हैं कि
आखिर संजय वर्मा कौन है और इस हत्या की कहानी में उसकी क्या भूमिका हो सकती है।
शुरुआत से लेकर साजिश तक
राजा
रघुवंशी, एक 29 साल के इंदौर के ट्रांसपोर्ट कारोबारी, ने
11 मई
2025 को
सोनम रघुवंशी से शादी की थी। यह शादी उनकी जिंदगी का नया अध्याय थी, लेकिन
शायद उन्हें अंदाजा नहीं था कि यह रिश्ता उनके लिए आखिरी साबित होगा। 20 मई
को दोनों मेघालय के लिए हनीमून पर गए। लेकिन 23 मई को राजा लापता हो गए, और
2 जून
को उनका क्षत-विक्षत शव चेरापूंजी के वेसॉडोंग फॉल्स के पास एक गहरी खाई में मिला।
शुरुआती जांच में यह साफ हुआ कि यह कोई हादसा नहीं, बल्कि एक सोची-समझी साजिश थी।
पुलिस
ने जल्द ही खुलासा किया कि सोनम, जो इस हनीमून ट्रिप पर अपने पति के साथ
थी, इस
हत्या की मुख्य साजिशकर्ता थी। उसके साथ उसका प्रेमी राज कुशवाहा और तीन अन्य
सुपारी किलर—विशाल चौहान, आकाश राजपूत, और आनंद कुर्मी—शामिल थे। सोनम ने राजा
को ऊंचाई पर ले जाकर खाई में धकेलने की योजना बनाई थी, लेकिन मौसम खराब होने की वजह से यह
प्लान फेल हो गया। इसके बाद उसने अपने प्रेमी और किलरों के साथ मिलकर राजा पर
धारदार हथियारों से हमला किया।
संजय वर्मा: नया किरदार, नया सवाल
लेकिन
कहानी यहीं खत्म नहीं होती। जांच के दौरान सोनम के मोबाइल कॉल डिटेल्स से एक
चौंकाने वाला खुलासा हुआ। 1 मार्च से 25 मार्च के बीच सोनम ने संजय वर्मा नाम के
एक शख्स को 112 से 234 बार कॉल की थी—खबरों के मुताबिक, यह
संख्या अलग-अलग स्रोतों में थोड़ी-बहुत भिन्न है, लेकिन बातचीत की मात्रा किसी को भी
हैरान करने के लिए काफी है। औसतन हर दिन 4 से 5 कॉल, और कभी-कभी घंटों तक बातचीत। यह आंकड़ा
पुलिस के लिए एक नई पहेली लेकर आया।
संजय
वर्मा कौन है? क्या वह इस साजिश का हिस्सा था? या फिर सोनम का कोई और करीबी, जिसे
हम अभी तक नहीं जानते? पुलिस को शक है कि संजय वर्मा का नंबर
फर्जी नाम से रजिस्टर्ड हो सकता है, और हत्या के बाद से यह नंबर स्विच ऑफ आ
रहा है। गाजीपुर में सरेंडर करने से पहले सोनम ने उजाला यादव के साथ बस में सफर के
दौरान एक नंबर डायल करने की कोशिश की, लेकिन कॉल नहीं की और उसे डिलीट कर
दिया। क्या वह संजय वर्मा का नंबर था?
ढाबे वाले का बयान और नई परतें
इस
मामले में एक और अहम गवाही गाजीपुर के काशी टी स्टॉल के मालिक साहिल यादव की है।
साहिल ने पुलिस को बताया कि सोनम किसी डरी-सहमी हालत में नहीं थी, बल्कि
एक गाड़ी से उतरकर आराम से दुकान पर आई थी। वहां से उसने अपने भाई गोविंद को फोन
किया। क्या संजय वर्मा उसी गाड़ी में था? या फिर वह वाराणसी से गाजीपुर तक सोनम
के साथ था, जैसा कि उजाला यादव ने दो संदिग्ध युवकों का जिक्र किया था?
पुलिस
का मानना है कि यह हत्या सिर्फ लव ट्राएंगल तक सीमित नहीं है। आर्थिक कारण या
डिजिटल ब्लैकमेल जैसे अन्य पहलुओं की भी जांच चल रही है। संजय वर्मा का रोल क्या
है, यह
अभी साफ नहीं, लेकिन उसकी लगातार बातचीत ने इस केस को एक नए मोड़ पर ला दिया
है।
परिवार का रिएक्शन और जांच की दिशा
सोनम
के भाई गोविंद ने संजय वर्मा के बारे में कोई जानकारी होने से इनकार किया है। जब
पुलिस ने इंदौर में सोनम के घर छापा मारा, तो गोविंद ने कहा कि उन्हें इस नाम से
कोई परिचित नहीं। दूसरी ओर, राजा के पिता अशोक रघुवंशी ने सोनम के
परिवार पर सवाल उठाए हैं, उनका दावा है कि सोनम के माता-पिता को
उसकी हरकतों की भनक थी।
शिलांग
पुलिस अब इस केस को एक संगठित ऑपरेशन की तरह ट्रीट कर रही है। क्राइम सीन
रीक्रिएशन में एक और हथियार बरामद हुआ है, और संजय वर्मा की तलाश तेज हो गई है।
क्या वह साजिश का मास्टरमाइंड है, या सिर्फ एक मोहरा? यह
सवाल अभी अनसुलझा है।
एक अनसुलझी मिस्ट्री
राजा
रघुवंशी का मर्डर केस, जो पहले पति-पत्नी और प्रेमी के बीच की
कहानी लग रहा था, अब "पति, पत्नी, प्रेमी और वो..." बन गया है। संजय
वर्मा की एंट्री ने इस मिस्ट्री को और गहरा कर दिया है। क्या वह सोनम का एक और
प्रेमी था? क्या उसने हत्या में आर्थिक मदद की? या फिर यह सारा खेल किसी और के इशारे पर
हुआ? इन
सवालों के जवाब के लिए पुलिस की जांच जारी है, और आने वाले दिनों में इस रहस्य से
पर्दा उठ सकता है।
जैसे-जैसे
नई कड़ियां जुड़ रही हैं, यह केस न सिर्फ इंदौर और मेघालय, बल्कि
पूरे देश के लिए एक चर्चा का विषय बन गया है। एक बात तय है—यह कहानी अभी खत्म नहीं
हुई, और
संजय वर्मा का किरदार इस ड्रामे को और रोचक बनाने वाला है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें