The Diplomat (2025): कूटनीति का रोमांच और एक सच्ची कहानी का संघर्ष
14 मार्च 2025 को रिलीज हुई बॉलीवुड फिल्म "The Diplomat" एक पॉलिटिकल थ्रिलर है, जिसमें जॉन अब्राहम मुख्य भूमिका में हैं। शिवम नायर द्वारा निर्देशित और रितेश शाह द्वारा लिखित यह फिल्म 2017 की एक सच्ची घटना से प्रेरित है, जिसमें भारतीय नागरिक उज़्मा अहमद को पाकिस्तान से बचाया गया था। फिल्म में जॉन अब्राहम एक डिप्लोमैट जे.पी. सिंह का किरदार निभाते हैं, जो उज़्मा (सादिया खतीब) को उसके अपहरणकर्ता से मुक्त कराने के लिए एक जोखिम भरे मिशन पर निकलते हैं। यह फिल्म भारत-पाकिस्तान संबंधों की पृष्ठभूमि में कूटनीति, साहस और मानवता की कहानी पेश करती है।
कहानी का सार
फिल्म की कहानी उज़्मा अहमद के इर्द-गिर्द घूमती है, जो मलेशिया में एक टैक्सी ड्राइवर ताहिर (जगजीत संधू) से मिलती है। प्यार के झांसे में आकर वह पाकिस्तान जाती है, लेकिन वहां उसे पता चलता है कि ताहिर एक क्रूर व्यक्ति है, जो उसे बूनर (पाकिस्तान का एक संवेदनशील इलाका) ले जाता है और जबरदस्ती शादी कर लेता है। उज़्मा किसी तरह भारतीय हाई कमीशन तक पहुंचती है, जहां डिप्टी हाई कमिश्नर जे.पी. सिंह उसकी मदद के लिए आगे आते हैं। इसके बाद शुरू होता है एक तनावपूर्ण कूटनीतिक और कानूनी संघर्ष, जिसमें सिंह को न सिर्फ उज़्मा को बचाना है, बल्कि भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को भी संभालना है।
रिव्यू
अच्छे पहलू:
"The Diplomat" अपने आधार और प्रस्तुति में एक प्रभावशाली फिल्म है। जॉन अब्राहम ने अपने एक्शन हीरो इमेज से हटकर एक शांत, समझदार और दृढ़ डिप्लोमैट का किरदार बखूबी निभाया है। उनकी परफॉर्मेंस में संयम और गहराई है, जो इस फिल्म को एक अलग पहचान देती है। सादिया खतीब ने उज़्मा के दर्द, डर और हिम्मत को बेहतरीन तरीके से स्क्रीन पर उतारा है। उनकी आंखों में दिखने वाला भावनात्मक संघर्ष फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष है।
सहायक कलाकारों में कुमुद मिश्रा (एक वकील के रूप में) और रेवती (सुषमा स्वराज के किरदार में) ने भी शानदार काम किया है। फिल्म का दूसरा हाफ तेज और रोमांचक है, खासकर क्लाइमेक्स में वाघा बॉर्डर तक का पीछा, जो दर्शकों को बांधे रखता है। सिनेमैटोग्राफी और बैकग्राउंड स्कोर भी कहानी के तनाव को बढ़ाने में सफल रहे हैं।
कमियां:
फिल्म का पहला हाफ थोड़ा धीमा है और कुछ सीन बेवजह लंबे खिंचते हैं। जे.पी. सिंह के परिवार और उनके अतीत की कहानी को अधूरा छोड़ दिया गया है, जो फिल्म में एक अनावश्यक बोझ की तरह लगता है। इसके अलावा, कुछ डायलॉग्स और सीन बहुत नाटकीय हो गए हैं, जो इसकी वास्तविकता को कम करते हैं। पाकिस्तान को लेकर कुछ जगहों पर स्टीरियोटाइपिंग भी नजर आती है, हालांकि यह बहुत जोरदार जिंगोइज्म में नहीं बदलती। कोर्टरूम सीन भी कमजोर हैं और उसमें विश्वसनीयता की कमी महसूस होती है।
निर्देशन और तकनीकी पक्ष:
शिवम नायर ने फिल्म को संतुलित रखने की कोशिश की है, लेकिन कई जगह स्क्रिप्ट की कमजोरियां इसे प्रभावित करती हैं। रितेश शाह का लेखन ज्यादातर ठोस है, लेकिन कुछ हिस्सों में यह सतही हो जाता है। फिल्म का प्रोडक्शन वैल्यू अच्छा है, और दिल्ली व इस्लामाबाद की सेटिंग्स कहानी को विश्वसनीय बनाती हैं।
निष्कर्ष और रेटिंग
"The Diplomat" एक ऐसी फिल्म है जो अपने वादे को पूरी तरह से पूरा नहीं कर पाती, लेकिन फिर भी यह एक सम्मानजनक प्रयास है। यह न तो पूरी तरह से जिंगोइस्टिक है और न ही बहुत सूक्ष्म, बल्कि इन दोनों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करती है। जॉन अब्राहम और सादिया खतीब की परफॉर्मेंस इसे देखने लायक बनाती है, खासकर उन लोगों के लिए जो कूटनीति और वास्तविक घटनाओं से प्रेरित कहानियों में रुचि रखते हैं।
रेटिंग: 5 में से 3.5 स्टार।
बॉक्स ऑफिस और दर्शकों की प्रतिक्रिया
फिल्म ने होली वीकेंड पर 4 करोड़ रुपये के साथ ठीक-ठाक ओपनिंग की, लेकिन वीकडेज में इसकी कमाई में गिरावट देखी गई। पहले वीकेंड में इसने 13.30 करोड़ रुपये कमाए, और यह 20 करोड़ के करीब पहुंचने की कोशिश में है। दर्शकों और क्रिटिक्स से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है, जिसमें जॉन की एक्टिंग की तारीफ हुई, लेकिन कहानी के कुछ हिस्सों की आलोचना भी हुई।
अंतिम विचार
"The Diplomat" उन फिल्मों में से है जो एक जरूरी कहानी को सामने लाती है, लेकिन इसे और बेहतर तरीके से पेश किया जा सकता था। यह जॉन अब्राहम के करियर में एक अलग तरह का प्रयोग है, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है। अगर आप थ्रिलर और कूटनीति की दुनिया में रुचि रखते हैं, तो यह फिल्म आपके लिए एक बार देखने लायक है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें