रविवार, 23 मार्च 2025

मौत से पहले दोस्त के साथ बाइक से घर आया था सौरभ, वही रात उसकी आखिरी रात थी Before his death, Saurabh had come home on a bike with his friend; that very night became his last.

मौत से पहले दोस्त के साथ बाइक से घर आया था सौरभ, वही रात उसकी आखिरी रात थी Before his death, Saurabh had come home on a bike with his friend; that very night became his last.


जीवन की अनिश्चितता कभी-कभी हमें चौंका देती है। एक सामान्य दिन, दोस्तों के साथ हंसी-मजाक और बाइक की सवारी—यह सब एक पल में दुखद अंत में बदल सकता है। सौरभ नाम के एक युवक की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। वह अपने दोस्त के साथ बाइक से घर लौटा था, लेकिन किसी को नहीं पता था कि वह रात उसकी जिंदगी की आखिरी रात होगी। यह कहानी न सिर्फ सौरभ के जीवन के अंतिम पलों को बयां करती है, बल्कि सड़क सुरक्षा और जिंदगी की नाजुकता पर भी सवाल उठाती है।

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घटना का विवरण


सौरभ, एक 24 साल का युवा, अपने दोस्त के साथ उस रात कहीं से घर लौट रहा था। दोनों बाइक पर सवार थे, शायद दिन की थकान को हंसी-खुशी में भुलाते हुए। यह घटना नालासोपारा, मुंबई की है, जहाँ 3 मार्च 2025 की रात को सौरभ अपने दोस्त सचिन शर्मा के साथ संतोष भवन की ओर जा रहा था। रात के करीब 1:30 बजे, जब दोनों मोचपाड़ा के पास संत रोहिदास सोसाइटी की सड़क पर थे, एक अनियंत्रित घटना ने उनकी जिंदगी बदल दी। सौरभ की बुलेट बाइक आगे थी, और सचिन उसका पीछा कर रहा था। लेकिन उस रात का अंत खुशहाल नहीं था।


पुलिस के मुताबिक, सौरभ और सचिन के पड़ोस में रहने वाले दो भाई—कौशिक चौहान (20) और अजय चौहान (21)—सड़क पर खड़े थे। सौरभ की बाइक उनके पास से गुजरी, और इसी दौरान कुछ कहा-सुनी हो गई। सचिन के बयान के अनुसार, कौशिक ने दावा किया कि सौरभ की बाइक ने उसे छू लिया था, जिसे सौरभ ने नकार दिया। यह छोटी सी बात एक हिंसक झगड़े में बदल गई। दोनों भाइयों ने सौरभ पर हमला कर दिया, और फिर उनके माता-पिता—अप्पेश चौहान और सुनीता देवी—भी मौके पर आ गए। विवाद बढ़ता गया, और अचानक कौशिक ने घर से लोहे की छड़ लाकर सौरभ के सिर पर जोरदार प्रहार कर दिया।


सौरभ खून से लथपथ सड़क पर गिर पड़ा। सचिन और कुछ राहगीरों ने उसे तुरंत नजदीकी लक्ष्मी हॉस्पिटल पहुँचाया, लेकिन वहाँ से उसे ट्रॉमा केयर हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया। अफसोस, सौरभ ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। उस रात जो दोस्तों के साथ बाइक की सवारी शुरू हुई थी, वह सौरभ के लिए उसकी आखिरी सवारी बन गई।


परिवार और दोस्तों का दर्द


सौरभ के परिवार और दोस्तों के लिए यह हादसा एक गहरा सदमा था। सचिन, जो उस रात का चश्मदीद था, ने बताया कि सौरभ अपने दोस्त की जन्मदिन पार्टी में शामिल होने जा रहा था। वह एक खुशमिजाज और मेहनती लड़का था, जो विरार में एक पेट्रोल पंप पर मैनेजर के तौर पर काम करता था। उसके परिवार ने उसे कई बार सावधानी बरतने की सलाह दी थी, लेकिन किसे पता था कि एक साधारण रात इतनी भयानक बन जाएगी।


पुलिस ने चारों आरोपियों—कौशिक, अजय, अप्पेश, और सुनीता—को गिरफ्तार कर लिया है। यह घटना रोड रेज और छोटी-छोटी बातों पर हिंसा की बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाती है। सौरभ का परिवार अब इंसाफ की माँग कर रहा है, लेकिन उनकी जिंदगी से सौरभ का जाना एक ऐसा खालीपन छोड़ गया है, जिसे कोई भर नहीं सकता।


सड़क पर हिंसा और सबक


यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि सड़क पर छोटी-मोटी बहस कितनी खतरनाक हो सकती है। अगर उस रात सौरभ और कौशिक के बीच का विवाद शांतिपूर्ण ढंग से सुलझ गया होता, तो शायद सौरभ आज अपने परिवार और दोस्तों के साथ होता। यह हादसा सड़क सुरक्षा के साथ-साथ आपसी सहनशीलता और संयम की भी जरूरत को उजागर करता है।


निष्कर्ष


सौरभ की कहानी एक दुखद याद दिलाती है कि जिंदगी कितनी अनमोल और नाजुक है। एक दोस्त के साथ बाइक की सवारी, जो खुशी और आजादी का प्रतीक थी, एक पल में मौत का कारण बन गई। उसके परिवार और दोस्तों के लिए यह रात हमेशा एक काले सपने की तरह याद रहेगी। हमें इस घटना से सबक लेना चाहिए—सड़क पर सावधानी बरतें, विवादों से बचें, और अपनों को हमेशा सुरक्षित रखें। सौरभ की आखिरी रात हमें यही सिखाती है कि हर पल कीमती है, इसे बर्बाद न करें।

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