शुक्रवार, 22 नवंबर 2024

CTET Exam to be Held on December 15, 2024 (Sunday) in 136 Cities Across the Country सीटीईटी परीक्षा 15 दिसंबर, 2024 (रविवार) को देश के 136 शहरों में आयोजित की जाएगी

CTET Exam to be Held on December 15, 2024 (Sunday) in 136 Cities Across the Country सीटीईटी परीक्षा 15 दिसंबर, 2024 (रविवार) को देश के 136 शहरों में आयोजित की जाएगी



केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) का 20वां संस्करण 15 दिसंबर, 2024 (रविवार) को देश के 136 शहरों में आयोजित किया जाएगा। इस परीक्षा का आयोजन केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा किया जाता है, जो प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर के शिक्षकों की पात्रता को मान्यता देने के लिए आयोजित की जाती है।


परीक्षा की तिथि और बदलाव का कारण

पहले यह परीक्षा 1 दिसंबर, 2024 को आयोजित की जानी थी। लेकिन प्रशासनिक कारणों से इसकी तारीख को संशोधित कर 15 दिसंबर, 2024 कर दिया गया। सीबीएसई ने अभ्यर्थियों के हितों को ध्यान में रखते हुए यह बदलाव किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि परीक्षा का आयोजन सुचारू रूप से हो।


परीक्षा का महत्व

सीटीईटी परीक्षा भारत में शिक्षक बनने की पहली अनिवार्य योग्यता है। जो उम्मीदवार प्राथमिक (कक्षा 1 से 5) और उच्च प्राथमिक (कक्षा 6 से 8) स्तर पर शिक्षण में रुचि रखते हैं, उन्हें इस परीक्षा में उत्तीर्ण होना आवश्यक है। इस परीक्षा में पास करने वाले उम्मीदवार केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और अन्य सरकारी स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए पात्र माने जाते हैं।

More at:- Central Teacher Eligibility Test

परीक्षा केंद्र और व्यवस्थाएं

इस वर्ष परीक्षा का आयोजन 136 शहरों में किया जाएगा। परीक्षा केंद्रों पर सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं, ताकि उम्मीदवार बिना किसी परेशानी के परीक्षा दे सकें। सीबीएसई ने यह भी कहा है कि यदि कुछ शहरों में अभ्यर्थियों की संख्या अधिक होगी, तो परीक्षा का आयोजन 15 दिसंबर के साथ-साथ 14 दिसंबर, 2024 को भी किया जा सकता है।


अभ्यर्थियों के लिए महत्वपूर्ण निर्देश

एडमिट कार्ड: परीक्षा से कुछ दिन पहले सीटीईटी के आधिकारिक पोर्टल से एडमिट कार्ड डाउनलोड करना आवश्यक होगा।

पहुँचने का समय: अभ्यर्थियों को समय पर परीक्षा केंद्र पर पहुँचना चाहिए।

डॉक्यूमेंट्स: एडमिट कार्ड के साथ वैध फोटो पहचान पत्र लाना अनिवार्य होगा।

परीक्षा के नियम: परीक्षा हॉल में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, मोबाइल फोन या अन्य प्रतिबंधित वस्तुएं ले जाना सख्त मना है।

परीक्षा का प्रारूप

सीटीईटी परीक्षा में दो पेपर होते हैं:


पेपर 1: प्राथमिक शिक्षक बनने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए।

पेपर 2: उच्च प्राथमिक शिक्षक बनने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए।

दोनों पेपर में बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQ) होते हैं और कोई नकारात्मक अंकन नहीं होता।

सीटीईटी के माध्यम से एक उज्ज्वल भविष्य

सीटीईटी परीक्षा शिक्षक बनने की दिशा में पहला कदम है। इस परीक्षा में सफल होने वाले उम्मीदवारों के लिए न केवल सरकारी स्कूलों में बल्कि प्राइवेट स्कूलों में भी रोजगार के कई अवसर खुलते हैं।


निष्कर्ष

सीटीईटी परीक्षा न केवल शिक्षण के क्षेत्र में करियर बनाने का एक महत्वपूर्ण मंच है, बल्कि यह शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता सुनिश्चित करने का भी एक प्रयास है। सभी उम्मीदवारों से यह अनुरोध है कि वे परीक्षा के लिए समय पर तैयारी करें और सीटीईटी की आधिकारिक वेबसाइट पर नियमित रूप से अपडेट देखते रहें।

Payal Song Lyrics in Hindi Payal song lyrics - yo yo honey singh nora fatehi glory पायल



 हा ये ये ये...




मेरी जान बांध राखी तूने पायल में

हर कदम तेरा करे मुझे घायल है

अरे हम तो मामुली से गायक थे

तुझे देख के ही तो हुए शायर हैं

ये जो हम पे छाये हुए बादल हैं

पहले दिखे ना कभी थे पूरे सावन मैं 

रजा तेरी रज़ामंदी में शामिल हैं 

तेरे हुकुम सर आंखों पे कायल हैं




हां तू कहेगा अगर 

उठेगा नहीं तेरे कांधे से सर 

सब बेअसर

तेरे इश्क जैसा मैंने कभी 

देखा नहीं मर्ज़



तेरा मुझपे है कर्ज़ 

चुकाना पड़ेगा जो 

मुझे शत प्रतिशत 

क्या किया ये हसरत 

तेरी आखों ने भी 

छोड़ी ना कोई भी कसार


मेरी जान बांध राखी तूने पायल में

हर कदम तेरा करे मुझे घायल है

अरे हम तो मामुली से गायक थे


तुझे देख के ही तो हुए शायर हैं

ये जो हम पे छाये हुए बादल हैं

पहले दिखे ना कभी थे पूरे सावन मैं 

रजा तेरी रज़ामंदी में शामिल हैं 

तेरे हुकुम सर आंखों पे कायल हैं



मेरी जान तू करले गुनाह 

वारदातें संभल जाती हैं 

तेरे लिए क्या शर्म क्या हया 

तू पानी है 

कैसे भी ढल जाती है


क्या अदा तेरी है बेपनाह 

जो दिल में मेरे 

घर कर जाती है 

किसी से भी छुप ना सका 

इरादा तू चेहरे से पढ़ जाती है


हां पागल है 

पीछे तेरे झुमके और तेरे काजल के 

तेरे आंचल के क्या 

दिल से भी हम तेरे बहार हैं



ये ना वाजिब है 

नखरे तेरे ये ना जयाज़ हैं 

ये जयाज़ हैं 

तेरा हक ही तो बनता है शायद से


मेरी जान बांध राखी तूने पायल में

हर कदम तेरा करे मुझे घायल है

अरे हम तो मामुली से गायक थे

तुझे देख के ही तो हुए शायर हैं

ये जो हम पे छाये हुए बादल हैं

पहले दिखे ना कभी थे पूरे सावन मैं 

रजा तेरी रज़ामंदी में शामिल हैं 

तेरे हुकुम सर आंखों पे कायल हैं



हम रजामंद अरे 

तू भी तो बन 

तू है उड़ती पतंग 

मैं हूं जोगी मलंग 

इस मर्द की तू इकलौती पसंद 

मत कर ये जतन 

ना दिखा तू बदन 

मुझे चाहिए तेरी सोल 

चाहिए तेरा दिल



मेरा एक ही है गोल 

कल्ली कित्ते मिल 

जो भी तू बोल 

बस फटने दे बिल 

गेट्स तू खोल 

बब्बी लेमी इन



भाई मेरा यो यो 

तू मेरी मखना 

कदम तू तेरे संभल के रखना 

तखने में पायल 

पायल में मेरी जान 

मेरी जान है तू 

इसमे कोई शक ना 

शक ना तू कर 

शड़दे तू मायका 

हनीमून पे चलेंगे जमैका 

जमैका 

चलेंगे जमैका 

बानू मैं जमाई तेरी माई का

सोमवार, 4 नवंबर 2024

Chhath Puja 2024: छठ पूजा का इतिहास जानें कैसे हुई छठ पूजा की शुरुआत

छठ पूजा भारत के पूर्वी हिस्सों, विशेषकर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार विशेष रूप से सूर्य देवता और छठी मैया की उपासना के लिए प्रसिद्ध है। छठ पूजा का इतिहास अत्यंत प्राचीन है, और इसकी शुरुआत के संदर्भ में कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं।


छठ पूजा का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व

छठ पूजा की शुरुआत को लेकर दो मुख्य कथाएं प्रचलित हैं - एक पौराणिक और दूसरी महाभारत से जुड़ी ऐतिहासिक कथा।

1. पौराणिक कथा: छठी मैया की पूजा

छठ पूजा में छठी मैया की उपासना की जाती है, जिन्हें सूर्य देव की बहन माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, छठी मैया संतानों और परिवार की रक्षा करती हैं और व्रत करने वाले की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। इसे प्रकृति के साथ एक गहरा संबंध माना जाता है और इसी कारण सूर्य देवता को धन्यवाद अर्पित करने के लिए यह पूजा की जाती है।

2. महाभारत से जुड़ी कथा: कुंती और कर्ण की कहानी

महाभारत में सूर्य पुत्र कर्ण का उल्लेख है, जो भगवान सूर्य के परम भक्त थे। वे प्रतिदिन घंटों तक जल में खड़े होकर सूर्य की उपासना करते थे। ऐसा माना जाता है कि कर्ण से ही सूर्य पूजा का यह स्वरूप विकसित हुआ, और बाद में इसे छठ पूजा के रूप में मनाया जाने लगा। इसके अलावा, पांडवों के वनवास के समय द्रौपदी ने भी अपने परिवार की रक्षा और सुख-समृद्धि के लिए सूर्य देव की उपासना की थी, जिससे यह पूजा और भी महत्वपूर्ण हो गई।

छठ पूजा की उत्पत्ति और विकास

छठ पूजा का प्राचीन इतिहास वैदिक काल से जुड़ा हुआ है। इसे वैदिक परंपरा में प्रकृति पूजा और सौर ऊर्जा के स्रोत के रूप में देखा गया है। यह पूजा सूर्य की ऊर्जा, जीवन शक्ति और उसकी कृपा के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता का प्रतीक है। माना जाता है कि छठ पूजा का उद्देश्य प्रकृति, जल, वायु और सूर्य से मिल रही शक्ति को धन्यवाद देना है।

इस पूजा की शुरुआत मुख्य रूप से बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में हुई थी और समय के साथ यह पूरे भारत में फैल गई। आज यह केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का भी प्रतीक बन गई है।

छठ पूजा की प्रमुख रीतियाँ

छठ पूजा में कुल चार दिनों का उपवास और सख्त नियम पालन किया जाता है। इसमें व्रती बिना अन्न-जल के रहकर सूर्य देवता और छठी मैया की पूजा करते हैं। इस दौरान भक्त गंगा, यमुना या किसी भी पवित्र नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह रीतियाँ छठ पूजा को और भी पवित्र और अनूठा बनाती हैं।

निष्कर्ष

छठ पूजा भारतीय संस्कृति की एक अमूल्य धरोहर है जो हमें प्रकृति और हमारे पूर्वजों के साथ जोड़ती है। इसका इतिहास और उत्पत्ति जितनी पौराणिक है, उतनी ही वैज्ञानिक भी है। आज के समय में यह पर्व न केवल श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है, बल्कि एकता, परिवार और समाज को जोड़ने का माध्यम भी है।


India Crushes Australia in the Semi-Final, Kohli-Shami Shine, One Step Away from Champions Trophy Glory

India Crushes Australia in the Semi-Final, Kohli-Shami Shine, One Step Away from Champions Trophy Glory Cricket fans witnessed a historic mo...